संवादाता-पी.के आर्या
मथुरा। ब्रह्मांचल पर्वत की गोद में बसे बरसाने की रंगीली गली में बरसाने की गोपियों की लाठियों की मार झेल रहे नंदगांव के गोप सदियों पुरानी परंपरा का निर्वान्ह कर रहे थे। कहा जाता है इस अद्भुत और आलोकिक दृश्य के साक्षी बनने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। शाम ठढ रही थी, आसमान में पहाडी के उपर मानों भगवान सूर्य भी अस्त होना नहीं चाहते थे, ऐसा लग रहा था मानो सूर्य देव भी इस दृष्य को देखने के लिए ठहर गये हों। लठामार होली पर लगातार दूसरे साल बरसात हुई। पिछल साल हल्की बरसात हुई थी। इस बार अंधड के साथ आसमान से पानी बरसा मानो इंद्र देव खुद लठामार होली का साक्षी बन रहे थे।
अनुपम होली होत है, लठ्ठन की सरनाम!
अबला सबला सी लगै, बरसाने की वाम!!
लठ्ठ धरै कंधा फिरै, जबहिं भगावत ग्वाल!
जिमि महिषासुरमर्दिनी, चलती रण में चाल!
कान्हा की नगरी बरसाना में सदियों पुरानी लीला एक बार फिर जीवंत हो उठी। लठामार होली खेलने के लिए कान्हा के नंदगांव से हुरियारे राधारानी के गांव बरसाना आए। बरसाना की हुरियारिनों ने प्रेम से पगी लाठियों उन पर बरसाईं तो अबीर गुलाल के साथ रंगों की बरसात होने लगी। श्रीजी मंदिर से लेकर बरसाना की गलियां रंगों से सराबोर हो गईं। दिव्य और भव्य लठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आए। सोमवार को बरसाना से राधा जी की सखियां नंदगांव होली का निमंत्रण लेकर पहुंची थीं। होली खेलने के लिए नंदगांव के हरियारे बरसाना आएंगे जब यह सूचना बरसाना में गोप गोपियों को मिली तो उन्होंने खशी में लड्डू बरसाये थे। यह प्रसिद्ध लड्डू होली लीला सोमवार को खेली गई थी। कान्हा के सखा माने जाने वाले नंदगांव के हुरियारे मंगलवार को सुबह नंदभवन में एकत्रित हुए। पद गाकर उनसे होली खेलने साथ चलने को कहा।
नंदगांव के हुरियारे चलौ बरसाने में खेलें होरी पद गाते हुए श्रीकृष्ण स्वरूप पताका को साथ लेकर बरसाना के लिए निकले। बरसाना की हुरियारिनों के लाठियों से बचने के लिए ढाल उनकी हाथों में थी। धोती, बगलबंदी, पीतांबरी से सुसज्जित हुरियारे रंग गुलाल उड़ाते ही पैदल बरसाना धाम पहुंचे। इस अलौलिक लीला का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु बरसाने का पावन धरा पर आए। सुबह से ही लोगों ने बरसाने में डेरा डाल लिया। हर कोई होली की मस्ती में झूमता नजर आया। मथुरा के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर भी लठामार होली देखने पहुंचे।
लठामार होली के दिन लगातार दूसरे साल बरसात
बरसाना की लठामार होली के दिन लगातार दूसरे साल बरसात हुई। पिछले साल भी बरसात हुई थी। इस बार न केवल आसमान से पारी गिरा बल्कि आले भी पडे और तेज हवाएं भी चलीं। यह संयाग ही रहा कि होली पर श्रद्धालु रंगों में ही नहीं बरसात के पानी भी तरबतर रहे।